Monday 6 January 2020

नहीं रहे त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी



उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में 18 जनवरी 1929 को जन्मे श्री त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने अपने कैरियर की शुरुआत आईएएस अधिकारी के रूप में की और अपने कैरियर में उन्होंने बहुत ख्याति अर्जित की । सेवानिवृत्ति के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नियुक्त किया। इस पद पर वे 1984 से 1989 तक रहे । राजीव गांधी के प्रधान मंत्री के कार्यकाल में उन्होंने बोफोर्स खरीद में हुई गड़बड़ियों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया जिसे बाद में बी पी सिंह ने लपक कर पूरे देश में बहुत जोर शोर से उठाया। बोफोर्स तोप के इस सनसनीखेज घोटाले के आरोपों के चलते श्री राजीव गांधी को 1989 में चुनाव में करारी हार के कारण अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। ये बोफोर्स ही था जिसने श्री बी पी सिंह को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया । यद्यपि इस घोटाले का अंतिम निष्कर्ष कुछ खास नहीं निकला ।

1991 में उन्हें पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया । बाद में वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वर्ष 2002 में उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया। राज्यपाल के रूप में श्री चतुर्वेदी ने अपने कर्तव्यों का अच्छी तरह से निष्पादन किया। इस बीच कुछ समय के लिए वे केरल के कार्यवाहक राज्यपाल भी रहे। वर्तमान समय में वे भारतीय प्रशासनिक संस्थान के अध्यक्ष थे और डीएबी समूह की संस्थाओं के चांसलर थे। 

वैसे तो उनके सभी कार्यकाल कुछ न कुछ कारणों से हमेशा सुर्खियों में रहे, फिर भी कोई भी राजनीतिक व्यक्ति सीधे-सीधे कभी उन पर कोई आरोप नहीं लगा पाया। उनकी राज्यसभा का कार्यकाल कन्नौज और फर्रुखाबाद कि लोग बहुत अच्छी तरह से याद रखेंगे क्योंकि उस समय सांसदों को सांसद निधि से अपने क्षेत्र के विकास के लिए जो धन आवंटित होता था उसका उन्होंने पूरी पारदर्शिता और लोक उपयोगिता के साथ इस्तेमाल किया । कन्नौज से फर्रुखाबाद औरैया या किसी भी सड़क पर जब आप जाएंगे तो उनके कार्यकाल के बने हुए यात्री शेड, बस स्टॉप शेड और इस तरह के तमाम सारे कार्य आज भी जमीन पर दिखाई पड़ते हैं।

रविवार दिनांक 5 जनवरी को देर शाम नोएडा के कैलाश अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे पिछले एक माह से बीमार चल रहे थे। कन्नौज और फर्रुखाबाद के लोग उन्हें कभी भुला नहीं पाएंगे और सभी देशवासी भी उनकी अमूल्य सेवाओं को हमेशा याद रखेंगे ।
 पूरे देश की विनम्र श्रद्धांजलि।
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- शिव मिश्रा 

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