Thursday 7 May 2015

न्याय निर्णय ~ देर , दुरुस्त और चुस्त

सलमान खान को मुंबई की सत्र न्यायलय ने पांच वर्ष की सश्रम कारावास  की सजा सुनायी है।  सजा सुनाने के तुरंत बाद हाईकोर्ट से उनकी जमानत भी हो गयी।  अब उनके पक्ष में कई नामी गिरामी हस्तियां आ गयी हैं और लगभग हर टीवी चैनल पर इसकी चर्चा हो रही है। सलमान के घर मिलने वालों का ताँता लगा है।  इनमे बालीबुड  की सभी प्रमुख हस्तिया और राजनैतिक लोग भी शामिल   हैं।  लोग सलमान के पक्ष में मीडिया में बेतुके बयान दे रहें हैं।   ऐसा लग रहा है जैसे पीड़ित सलमान हैं।

इस देश में कितने मुक़दमे लंबित हैं ?  कितने लोगों को न्याय का इन्तजार है और कितने लोग न्याय का इन्तजार करते करते परलोक चले गए ? शायद इसका आंकड़ा नहीं मिल सकता  सिर्फ इतना कहा जा सकता है कि यदि आज के बाद सारे नए मुक़दमे रोक कर सिर्फ लंबित मुकदमों का निपटारा किया जाय तो कम से कम १००  साल लग सकते हैं ( एक मोटे अनुमान के अनुसार निचली अदालतों में दो करोड़,  हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ५० लाख मुक़दमे लंबित हैं )।  हिट  एंड रन नाम से प्रसिद्ध  इस मुक़दमे का निर्णय केवल १३ साल में हुआ (अभी सिर्फ  निचली अदालत से ) ये भी काफी संतोष जनक है। ये निर्णय सत्र न्यायाधीश  श्री देशपांडे ने दिया जिनका हाल में ही मुम्बई के बाहर स्थान्तरण हो चुका है।  सलमान खान बालीबुड के दबंग हैं बहुत पैसे वाले हैं।  उनके पिता श्री सलीम खान भी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं।  अगर अन्यथा दबाव न भी रहा हो तो भी न्यायाधीशों पर कितना  मानसिक दबाव रहा  होगा इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है।  फिर भी तेरह साल बाद ही सही... दुरुस्त निर्णय देना बहुत साहस का काम है और अत्यधिक स्वागत योग्य है।  ऐसे जज का नमन किया जाना चाहिए ।  स्वागत किया जाना चाहिए।  निर्णय ने सन्देश दिया है कि कानून की नजर में सभी बराबर है।  अपराधी को सजा तो मिलनी ही चाहिए चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों न हो ।  लेकिन संम्भवता  एक छोटी सी  भूल मुझे नजर आती है कोर्ट ने माना है कि कार सलमान चला रहे थे तो फिर झूठी गवाही देने वाले अशोक सिंह जिसने कहा था कि कार वह चला रहा था , के विरुद्ध भी कार्यवाही की जानी चाहिए थी ताकि भविष्य में कोई इस तरह की गवाही देने की कोई हिम्मत न जुटा सके। 

हाई कोर्ट ने दो घंटे के अन्दर जमानत दे दी, ये निराशा जनक लगा। हाई कोर्ट का निर्णय जरूर ये सोचने को मजबूर करता है कि क्या सामान्य व्यक्ति के लिए भी इतनी तत्परता दिखाई जाती है ।  सामान्य तौर पर इतनी जल्दी जमानत नहीं मिलती और चुस्ती तो कभी दिखाई नहीं पड़ती। इससे सलमान के प्रसंसक तो खुश हुए किन्तु सामान्य जनता को बहुत अच्छा सन्देश नहीं गया।  न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए बल्कि ऐसा लगना भी चाहिए कि न्याय  हुआ है।   ऐसा लगता है कि सलमान को जमानत मिल ही जायेगी  और मीडिया में ऐसा माहौल भी बनाया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो अगले दस पंद्रह साल लग जायेंगे हाईकोर्ट में और फिर भी निर्णय नहीं बदलता है तो सुप्रीम कोर्ट।   कितने साल लगेंगे पता नहीं ?  सलमान आज ४९ साल के है और सुप्रीम कोर्ट से निर्णय होते होते ७५ - ८० साल के हो जायेंगे। जो मर गए वो तो चले गए लेकिन पांच परिवार उजड़ गए। उन्हें कोई मुवावजा भी नहीं मिला।

क्या सलमान जैसे लोगों के लिए अलग कानून  के जरूरत है ? अगर ऐसा है तो पूर्ण स्वराज और अच्छे दिन आने में अभी बहुत देर है। 
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                 - शिव प्रकाश मिश्र

Friday 1 May 2015

संसद का दुरुपयोग

एक तथा कथित गांधीवादी नेता जी ने राज्यसभा में ये कह कर हंगामा खड़ा कर दिया कि पतंजलि योग पीठ की एक दवा पुत्र पैदा करने के लिए बेची जा रही है।  ये गैर कानूनी और असवैधानिक है।  उन्होंने कहा कि ये दवा हरियाणा में बेची जा रही है। उनका साथ स्वाभाविक रूप से सभी विपक्षी पार्टियों ने दिया।  हरियाणा में इसलिए क्योकि स्वामी रामदेव को हरियाणा सरकार ने अपना  ब्रांड अम्बेसडर बनाया है।  सरकार द्वारा उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया था जिसे स्वामी रामदेव ने  अस्वीकार कर दिया था। इससे पहले वे पद्म विभूषण का पुरुष्कार भी अस्वीकार कर चुके हैं।  ये दो बहुत अच्छे काम हैं जो हाल में उन्होंने किये हैं।

स्वामी रामदेव ने  योग का  प्रचार प्रसार करके  लोगो में योग अपनाने की जिज्ञासा पैदा की और आज आप देश में कहीं भी जाएँ पार्कों में योग करते हुए लोग मिल जायेंगे।  बहुतायत घरों में आज योग करने वाले हैं।  लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ने बिना किसी औषधि के स्वस्थ्य  रहने की लालसा पैदा कर दी है।  ऐसा नहीं कि योग का बाबा रामदेव ने  आविष्कार किया है पर योग के प्रति इतना समपर्ण इससे पहले किसी ने नहीं किया। लोगो को इसका फायदा हुआ है।  मुझे इसका फायदा हुआ है। अगर निष्पक्ष रूप से देखा जाय तो समूचे हिंदुस्तान को उनका अहसान मंद होना चाहिए। ज्यादातर लोग ऐसा मानते भी हैं और ऐसा मानने वाले उनके अंध भक्त नहीं है।  ज्यादातर लोग ऐसे है जिन्होंने सिर्फ टीवी पर उनके प्रोग्राम देख कर योग करना सीखा और अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया।  इससे देश को बीमारियों पर होने वाले खर्च में कितनी बचत हुई है इसका आंकड़ा नहीं जुटाया गया है पर हर व्यक्ति को इसका हिसाब लगाना ही चाहिए कि योग ने उसके परिवार की कितनी आर्थिक बचत की है।  शायद तभी हम सब समझ सकेंगे कि देश की कितनी बचत हुई है।  निश्चित रूप से ये धनराशि बहुत बड़ी है। जितनी बड़ी राशि है उतना ही बड़ा किसी का नुक्सान भी है।   बाबा रामदेव ने दूसरा सबसे बड़ा काम किया है आयर्वेद की दवाये बना कर और आयुर्वेद का प्रचार और प्रसार करके।  ये बताने की आवश्यकता नहीं कि आयुर्वेद की दवाये बिना किसी अतरिक्त साइड इफेक्ट के लाभ पहुँचाती हैं।  दिव्य फार्मेसी की बनी दबायें कम कीमत की हैं और इससे दूसरी कंपनियों की दवाओं के दाम भी गिरे है जो पहले बहुत महंगी हुआ करती थीं. इसका दूसरा पहलू है जडी बूटियों के उगाने और उनके प्रोसिसिंग से सामान्य जन को मिलने वाले रोजगार से।   अभी इसमें और अधिक संभावनाएं हैं जिनका दोहन किया जाना बाकी है। 

स्वामी रामदेव के इन प्रयासों ने जहाँ उन्हें सामान्य जन का हीरो बना दिया वही एक बड़ा वर्ग उनसे सख्त नाराज है जो आर्थिक रूप से प्रभावित हुए है।  इनमे द्बाइयां बनाने वाली कंपनियों से लेकर कोल्ड ड्रिंक और जंक फ़ूड बेचने वाले शामिल हैं।  कुछ लोग धार्मिक आधार पर योग के विरुद्ध है और इनके वोट बैंक के स्वयंभू ठेकेदार भी  इसी वजह से नाराज है।  ये सारा गठजोड़ हमेशा इस कोशिश में रहता है कि उन्हें कुछ मिले तो अपनी तलवार भांज  कर  इन सबकी हमदर्दी हाशिल कर लें।  कुछ को ये सुर्ख़ियों में आने का अच्छा नुस्खा लगता है।  कुछ राजनैतिक दल तो उनसे खासे नाराज रहते हैं जिनकी वजहें जग जाहिर हैं।   
 
दिव्य पुत्र जीवक बीज औषधि  जो सुर्ख़ियों में है, वस्तुत: infertility  की दवा है जो पुरुष और महिलाओं दोनों की दी जाती है इसकी कीमत केवल रु ३५ है।  जाहिर है अगर इसका उद्देश्य रूपया कमाना होता तो ये दबा बहुत महंगी होती।  फिरभी हो सकता कुछ दवा विक्रेता   कुछ भ्रम फैला कर बेचते हों।   पतंजलि योगपीठ की वेबसाइट पर दी गई दवाओं की लिस्ट देखने पता चलता है कि यह दवा अभी भी बेची जा रही है।  दवा के एक पैकेट की कीमत 35 रुपये है, हालांकि इस दवा पर कहीं भी ऐसा कुछ नहीं लिखा है जिससे यह कहा जा सके कि यह बेटा पैदा होने के लिए दी जाने वाली दवा है। दिव्य फार्मेंसी की साइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह दवा प्रसव संबंधी समस्याओं और इन्फर्टिलिटी के लिए है। बाबा रामदेव को हरियाणा का ब्रांड एम्बेसडर बनाए जाने के बाद भी यह मुद्दा सोशल साइट्स पर चर्चा पर आया था। इस मामले में संस्थान के फाउंडर सदस्य आचार्य बाल कृष्‍ण को अपनी फेसबुक वॉल पर इस मामले में सफाई देनी पड़ी थी । बालकृष्ण ने कहा था कि विदेशी कंपनियां बाबा रामदेव की जड़ीबूटियों को बदनाम करने के लिए एक मुहिम चला रही हैं। यह जड़ी महिलाओं में बांझपन दूर करने के लिए है। खास बात यह है कि दवा का नाम पुत्र जीवक बीज नाम की इस दवा को लेकर दिव्य फार्मेसी ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है कि इसके सेवन से पुत्र ही पैदा होगा। इससे पहले भी पतंजलि योगपीठ में ' पुत्रवती ' नामक दवा बेचने को लेकर काफी विवाद हो चुका है और 2007 में इस मामले की जांच भी की गई थी और कुछ भी अन्यथा नहीं पाया गया था।  जाँच भी उत्तराखंड सरकार  ने की थी जो पहले भी अन्य कारणों से बाबा के पीछे पडी हुई थी। तत्कालीन केंद्र सरकार  ने तो अनेक बड़े घोटाले छोड़ कर पतंजलि पीठ की जाँच शुरू कर दी थी।  पासपोर्ट और अन्य कारणों से बालकृष्ण को गिरफ्तार कर लिया गया था।  बाबा रामदेव के उत्पाद विश्व भर में तहलका मचा रहे हैं लेकिन कुछ हिन्दुस्तानी  कुछ स्वार्थी लोगो के इशारों पर  बाबा रामदेव के नाम पर देश का बेडा गर्क कर रहें हैं. टीवी , रेडियो और समाचार पत्रों में आयी सुर्ख़ियों से उनके मंसूबे पूरे होते है, क्यों कि बड़ी कंपनिया जो तमाम पैसा खर्च कर मीडिया में जगह नहीं पा  पाती इन नेताओं पर थोडा सा उपकार कर ये काम पूरा कर लेती हैं। 

दवाई का नाम ( दिव्य पुत्र जीवक बीज) बेहद भ्रामक है और ऐसा संदेश देता है कि इससे पुत्र पैदा होगा, हालांकि दवा के पैकेट पर इस बात का दावा नहीं किया जा रहा है, दिव्या फमेसी को चाहिए कि इसका नाम बदले और अगर ऐसी और भी कोई दवा है तो उसके नाम में कोई संसय न हो। 
 
इन तथा कथित गांधीवादी नेता ( पता नहीं सोनिया गांधीवादी या राहुल गांधीवादी ) का उद्देश्य  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के  बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की हवा निकालना और उन्हें घेरना है।  इन तथाकथित नेताओं ने देश का बहुत अहित किया है इनसे बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है। 
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-शिव प्रकाश मिश्र