बारहवीं क्लास
में पढ़ने वाले एक 19 वर्षीय छात्र आदित्य सचदेवा की बिहार में हत्या इसलिए की गयी
क्योंकि उसने माफिया डॉन बिंदी यादव और सत्तारुढ़ दल की विधान परिषद सदस्य मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव की कार
को ओवरटेक करने की गुस्ताखी की थी, जो
अछम्य थी. शायद लोग सही कहते थे “ओवरटेक न करना बिहार में वरना गोली पड़ेगी कपार में
” इस घटना के बाद मेंरे एक मित्र ने अपनी मारुति कार के पीछे लिख लिया है “जगह मिलने पर तुरन्त पास
दिया जायेगा, कृपया गोली न मारें ” आदित्य
सचदेवा के परिजनों का करुण क्रंदन दिल को दहला देने वाला है और इसने जन आक्रोश को जन्म दिया है किंतु सत्तारूढ़ दल इसे
समझ नहीं सका है और, उप मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री सहित इसके नेता अनाप-शनाप और अनावश्यक बयान दे रहे हैं जिससे न केवल सरकार की बल्कि समूचे
बिहार की छवि खराब हो रही है और लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि शायद जंगलराज का आगाज हो रहा है. हो सकता है इसमें थोड़ी अतिश्योक्ति हो या
राजनातिक विद्वेष की भावना हो. किन्तु सत्तापक्ष के नेताओं द्वारा खासतौर से
उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और वाज
जले पर नमक छिड़कने जैसा है . यह सत्ता का अहंकार है और यह अंग्रेजों के जमाने की उस मानसिकता से भी खराब है जिसमें भारतीय अंग्रेजों
के बराबर खड़े नहीं हो सकते थे अंग्रेजों के साथ ट्रेन में यात्रा नहीं कर सकते थे
और सड़कों पर चल नहीं सकते थे.
बिहार
की वर्तमान सरकार में लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी है
और इसके पास 80 विधायक हैं नीतीश कुमार जो मुख्यमंत्री हैं उनके पास केवल ७१ विधायक हैं और उनकी पार्टी दूसरे नंबर की पार्टी
है. किसी भी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी का प्रतिनिधि सरकार का मुखिया होता है
किंतु चुनाव से पहले लालू यादव ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी पार्टी 80
सीटें प्राप्त कर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनेगी. शायद इसीलिए उन्होंने नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता
मानकर चुनाव प्रचार किया था और सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे और उन्होंने ऐसा किया भी. लेकिन चुनाव के बाद दोनों पार्टियों में एक अंदुरुनी सहमत बन गई थी
कि जब तक लालू यादव का बच्चा लोग ट्रेनिंग
करेंगे तब तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहेंगे और जैसे ही बच्चा लोगों की ट्रेनिंग
पूरी हो जाएगी, नीतीश कुमार बड़े गठबंधन के मुखिया बनकर प्रधानमंत्री पद की दावेदारी
करेंगे. लालू प्रसाद यादव उन्हें समर्थन देंगे. हालाकि नितीश ने अपने लिए पार्टी
के अध्यक्ष का पद पहले से ही शरद यादव से लेकर अपने पास रख लिया है . आप देखेंगे
कि इस प्रकरण में अचानक उप मुख्यमंत्री और लालू के बेटे तेजस्वी यादव की भूमिका बहुत
महत्व पूर्ण हो गयी है. उन्होंने सामने आकर कई बयान दिए और यह जताने की कोशिश की
इस सरकार में दबदबा किस पार्टी का है इस पूरे प्रकरण में नितीश कुमार नेपथ्य में
चले गए और बताया गया कि वह वाराणसी में, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव क्षेत्र है
वहां पर कोई रैली को संबोधित कर रहे हैं. हो सकता है किसी नैतिक आधार का सहारा
लेकर स्तीफा भी दे दे लेकिन फिर सुशासन का क्या होगा ....?
शिव प्रकाश
मिश्रा
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